डोर धड़कन से बंधी | भाग 21 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 21 | Hindi Romantic Story
स्क्रीन पर नज़र जमाये शिवाय के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। मैंने आज ही तुम को अपनी ज़िंदगी से निकालने का फैसला लिया था। और तुम आज ही मेरी ज़िन्दगी में वापस आ गई।
शिवन्या को काम दे दिया जाता है। आफिस के लैपटॉप पर आर्डर के अनुसार वह डिज़ाइन बनाना शुरू कर देती है। शिवाय की नज़र हर काम के बाद उसी पर पड़ती थी। जो बहुत ध्यान से डिज़ाइन बना रही थी।
कॉफी और सैंडविच शिवाय के कहने पर उसके पास भेज दिया गया था।
शाम हो चुकी थी। शिवन्या की डिज़ाइन रेडी हो चुकी थी। उसको अब मैनेजर को दिखाना था। शिवन्या आधा घंटे से उनका इंतेज़ार कर रही थी।
शिवाय अपना काम करते हुए कुछ फैसला लेते हैं और आदर्श को फोन करते हैं।
सुबह मैंने जो बात कही थी। मैं वह बात वापस ले रहा हूं। तुम भूल जाओ कि मैंने कुछ कहा था। कहते ही शिवाय फोन रख देते हैं।
आप....जैसे ही मिस्टर रावत केबिन में आते हैं शिवन्या उन को देख कर गुस्से से उठ खड़ी होती है।
बैठ जाएं मिस शिवन्या और अपना वर्क दिखाएं। मिस्टर रावत कड़कदार आवाज़ में कहते हैं। और बैठ जाते हैं। उनके हाथ में हीटिंग पट्टी बंधी हुई थी।
जहां पर आप जैसे लोग हों। मैं वहां पर काम नहीं कर सकती। शिवन्या गुस्से से कहती है।
मैंने कहा अपना वर्क दिखाएं। मिस्टर रावत एक बार फिर सख्त हुए।
शिवन्या चुपचाप लैपटॉप उन की तरफ बढ़ा देती है। लेकिन वह सोच लेती है वह उन के साथ काम नहीं करेगी।
आप का वर्क बहुत अच्छा है। आप इस जॉब के लिए सेलेक्ट होती हैं।
सुबह आपके साथ जो भी हुआ वह इंटरव्यू का एक हिस्सा था। जिस में आप पास हो गई हैं।
आप को जानकर हैरानी होगी कि दस में से सिर्फ दो लड़कियां पास हुई थी। बाकी लड़कियां बॉस को खुश करने के चक्कर में जॉब से हाथ धो बैंठी।
अब यह आप के ऊपर है कि आप यह जॉब करना चाहेंगी या नहीं। आप का जो भी फैसला होगा आप बता दिजियेगा। कहते ही मिस्टर रावत उठ खड़े होते हैं।
और हां आज जो भी आप के साथ हुआ। उस बात को भूल जाएं। हम नहीं चाहते कि हमारा नियम बाहर लोगों त पहुंचे। क्योंकि हम अपने आफिस का माहौल बेहतर चाहते हैं। इस लिए गंदगी को अपने आफिस से दूर रखते हैं। कहते ही मिस्टर रावत बाहर निकल जाते हैं।
शिवन्या मिस्टर रावत की एक-एक बात पर गौर करती है। और फैसला ले लेती है।
उसी वक्त कोई अंदर आता है। शिवन्या उठ खड़ी होती है। अब आप जा सकती हैं।
मैं आफिस ज्वाइन कर रही हूं। कहते ही शिवन्या बाहर निकल जाती है। स्क्रीन पर उसका जवाब सुनकर शिवाय और मिस्टर रावत मुस्कुरा देते हैं।
चलिए यह मसला हल हुआ। शिवाय ने सुकून की सांस ली।
शिवन्या का रवैया बिल्कुल श्लोका की तरह था। जिस तरह कोई श्लोका को टच करे तो वह गुस्सा हो जाती थी।
आज शिवन्या को उस लड़के को थप्पड़ मारते देख शिवाय के मन में एक बार फिर उसे आज़माने का ख्याल आया कि वह कितना अपनी बात पर कायम रहती है।
इस लिए मिस्टर रावत को शिवाय अपनी बात समझा कर उसके पास भेजते हैं। और शिवाय यह देख कर हैरान और खुश होते हैं कि शिवन्या वैसी ही है। जैसी वह दिखती है। उसमें कोई दिखावा नहीं है।
मिस्टर रावत आप कल से छुट्टी पर हैं। कुछ काम हुआ तो आप को फोन जायेगा। शिवाय ने मुस्कुरा कर कहा।
मिस्टर रावत शिवाय की बात पर हंस पड़े। इस की ज़रूरत नहीं सर।
ज़रूरत है तभी तो कह रहा हूं। आप आराम करें। आपके हाथ के लिए यह ज़रूरी है। यह मेरी वजह से हुआ है। शिवाय एक बार फिर मुस्कुराए।
चलता हूं। कहते ही शिवाय उठ खड़े हुए। और सीधे बाहर निकल गये। मिस्टर रावत उनको बाहर तक छोड़ कर अंदर आ गये।
शिवाय सीधे घर पहुंचे। शिवन्या नहीं आई थी। वह वहीं हॉल में बैठ गये। थोड़ी देर में शिवन्या भी आ जाती है।
सुनो आज डिनर हम बाहर करेंगे। फ्रेश हो जाओ फिर चलते हैं। उसके आते ही शिवाय ने कहा कि कहीं ऐसा ना है कि वह फटाफट बनाने लग जाए। और वह ऐसा बिल्कुल नहीं चाहते थे।
क्यों आप डिनर करेंगे क्या? शिवन्या नाराज़गी से पूछती है।
हां क्यों? शिवाय हैरान हुए।
कल की बात भूल गये क्या? शिवन्या अभी भी नाराज़ थी। जिस तरह कल रात शिवाय ने डिनर के लिए मना किया है। और खाने को गिराया था। वह बात शिवन्या को बहुत बुरी लगी थी।
रात गई बात गई। शिवाय लापरवाही से कहते हैं।
दस बजे रेडी रहना। कहते ही शिवाय अपने रूम में चले गए। शिवन्या भी चुपचाप अपने कमरे में चली गई। वैसे भी वह बहुत थक गई थी।
शिवाय रेडी होकर बाहर आकर बैठ गए। थोड़ी देर में शिवन्या भी तैयार हो कर आ गई। शिवाय उसे देखते रह गये। ब्लू जींस पर उसने लॉन्ग कुर्ता पहन रखा था। जिसमें वह बहुत अलग लग रही थी। कानों में टाप्स और हाथ में घड़ी पहन रखा था। बालों में हमेशा की तरह क्लैचर लगी हुई थी।
शिवाय की धड़कन बेतरतीब हो गई वह उसमें खो गये।
चलें? शिवन्या दरवाज़े की तरफ बढ़ गई।
शिवाय भी चुपचाप उसके पीछे चले गए। गाड़ी में बैठते ही शिवन्या ने सॉन्ग लगा दिया। शिवाय मुस्कुरा दिए।
दूसरी दुनिया में खाना खाने जा रहे हैं क्या? जब बहुत देर हो गई तो शिवन्या ने पूछ ही लिया। जिस की बात पर शिवाय बहुत ज़ोर से हंस पड़े।
इतना नाराज़ क्यों हो? शिवाय सीरियस हो गये।
मैं कौन होती हूं आपसे नाराज़ होने वाली? शिवन्या उदासी से कहती है। और बाहर देखने लगती है।
जैसे ही गाड़ी रूकती है। शिवन्या की नज़र रेस्टोरेंट पर पड़ती है जो बाहर से बहुत ही खूबसूरत था।
शिवाय उतर कर शिवन्या की तरफ आते हैं। और उस की तरफ का गेट खोल देते हैं। दोनों साथ-साथ आगे बढ़ते हैं।
आगे बढ़ते हुए शिवाय बहुत खामोशी से शिवन्या का हाथ थाम लेते हैं। शिवन्या हैरानी से शिवाय को देखती है। लेकिन शिवाय अंजान बन गये। बैठने के लिए केबिन बनी हुई थी।
केबिन में बैठते ही शिवाय मेन्यू शिवन्या की तरफ करते हैं।
आप अपनी पसंद से आर्डर कर दें। आज आपकी पसंद का खाऊंगी। शिवन्या मेन्यू शिवाय की तरफ कर देती है।
शिवाय आर्डर करते हैं। और फिर उस को उस रेस्टोरेंट के बारे में बताने लगते हैं। और फिर अचानक शिवाय श्लोका का हाथ.....
जारी है....
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